भाटी राजपूतों के आधिपत्य का यह नगर इतिहास से प्राप्त ग्रंथों के अनुसार विक्रम संवत १२१२ में श्रावण मास की १२ बदी को अपनी स्थापना का उल्लेख करता है। जैसलमेर नगरी की स्थापना के बारे में भी एक रोचक वर्णन मिलता है। महारावल जैसल के लोद्रवा से राजधानी बदलने के समय जब वे अपने गुप्तचरों एवं सहायकों के साथ ब्रह्मसर नामक स्थान पर पहुंचे तो वहाँ १४० वर्ष की आयु के पुष्करणा ब्रहामण महर्षि "ईसाल" पुरोहित ने ही अजेय त्रिकुट पर्वत पर राजधानी बनाने हेतु निर्देशित किया था। महारावल जैसल ने इसी त्रिकुट पर्वत पर अपनी राजधानी की नींव रखी और जैसलमेर बसाया। किले के चारों ओर परकोटा बना कर ९९ बुर्ज स्थापित किए गए। नीचे से ऊपर की ओर जाने हेतु चार रक्षात्मक द्वार बनवाये जिन्हें प्रोल कहा जाता है। क्रमश: । जय श्री कृष्ण
Monday, August 18, 2008
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