Sunday, August 17, 2008

"सोनार किला"

प्रथम अभिवादन के बाद मैं प्रारम्भ करता हूँ उस शब्द से जो आज जन-जन के मानस में अपनी जगह बना चुका है। क्या आप जानते हैं की सर्वप्रथम कौन वो शख्स था जिसने विश्व प्रसिद्द जैसलमेर दुर्ग को सोनार किले की संज्ञा दी थी। आप सही सोच रहे हैं श्री रविन्द्रनाथ टेगोर ने ही एक बांग्ला उपन्यास "सोनार किला" का लेखन किया था जिस पर बाद में भारतीय भाषा में फ़िल्म भी बनाई गई थी। इस फ़िल्म के बाद भी कह सकते हैं की जैसलमेर देश के साथ-साथ विदेशों में भी कुछ हद तक लोकप्रिय हुआ होगा। अपने देश द्वारा पर्यटन को विकसित करने हेतु सन् १९८५ में जैसलमेर को भी पर्यटक स्थान का दर्जा दिया गया। उसके बाद तो जैसलमेर में धीरे-धीरे पर्यटकों की संख्या में प्रतिवर्ष बढोत्तरी होती चली गई जो आज लगभग दो लाख पर्यटक प्रतिवर्ष तक पहुँच गई है। हाल ही के बीते वर्षों में इसकी प्रसिद्धि में एक और इजाफा हुआ की जैसलमेर को "वर्ल्ड हेरिटेज" घोषित किया गया । इतने सालों में क्या कुछ नही बदला जैसलमेर में। बस नही बदला तो यह ख़ुद जैसलमेर । जय श्री कृष्ण

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